भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन

विवरणभारत की आज़ादी के लिए सबसे लम्बे समय तक चलने वाला एक प्रमुख राष्ट्रीय आन्दोलन था ।
शुरुआत1885 ई. में कांग्रेस की स्थापना के साथ ही इस आंदोलन की शुरुआत हुई, जो कुछ उतार-चढ़ावों के साथ 15 अगस्त1947 ई. तक अनवरत रूप से जारी रहा।
प्रमुख संगठन एवं पार्टीगरम दलनरम दलगदर पार्टीआज़ाद हिंद फ़ौजभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसइंडियन होमरूल लीगमुस्लिम लीग
अन्य प्रमुख आंदोलनअसहयोग आंदोलनभारत छोड़ो आन्दोलनसविनय अवज्ञा आन्दोलनस्वदेशी आन्दोलननमक सत्याग्रह
परिणामभारत स्वतंत्र राष्ट्र घोषित हुआ।
संबंधित लेखगाँधी युगरॉलेट एक्टथियोसॉफिकल सोसायटीवर्नाक्यूलर प्रेस एक्टइण्डियन कौंसिल एक्टहार्टोग समितिहन्टर समितिबटलर समिति रिपोर्टनेहरू समितिगोलमेज़ सम्मेलन

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885 ई.)

कांग्रेस के महत्वपूर्ण अधिवेशन
कांग्रेस अधिवेशनमहत्वपूर्ण तथ्य
1887 मद्राससर्वप्रथम देशी भाषाओँ में भाषण
1888 इलाहबादप्रथम बार कांग्रेस संविधान का निर्माण
अध्यक्ष जॉर्ज यूल, प्रथम ईसाई अध्यक्ष,
1889  मुंबईमताधिकार की आयु 21 वर्ष
सार्वभौम मताधिकार की मांग
1891 नागपुरकांग्रेस ने अपना संविधान पारित किया
1893 लाहौरभारत में सिविल सेवा परीक्षा के आयोजन की मांग
1896 कलकत्ताप्रथम बार वन्दे मातरम का गायन
1905 बनारसस्वराज्य प्राप्ति का संकल्प पारित
अनिवार्य शिक्षा पर बल
1907 सूरतकांग्रेस का प्रथम विभाजन
1909 लाहौरकांग्रेस का रजत जयंती अधिवेशन
1911 कलकत्ताराष्ट्रगान का प्रथम बार गायन
1916 लखनऊप्रथम विभाजन समाप्त
कांग्रेस लीग समझौता
1918 दिल्लीकांग्रेस का दूसरा विभाजन
उदारवादी कांग्रेस से अलग हो गए
1920 नागपुरतिलक द्वारा स्वराज पार्टी का गठन
भाषाई अधार पर प्रान्तों के गठन की मांग
1920 कलकत्ता (विशेष अधिवेशन)असहयोग कार्यक्रम को स्वीकृति
1921 अहमदाबादप्रथम बार राष्ट्रीय ध्वज का आरोहण
अध्यक्ष चितरंजन दास, लिएकिन जेल में होने के कारण अध्यक्षता हाकिम अजमल खां ने की
1924 बेलगाम (कर्नाटक)अध्यक्षता महात्मा गाँधी ने की
1925 कानपुरअध्यक्ष हसरत मोहानी, पूर्ण स्वधीनता का प्रस्ताव रखा गया
1926 गुवाहाटीकांग्रेसियों के लिए खद्दर पहनना अनिवार्य
1927 मद्राससाइमन आयोग के बहिष्कार का प्रस्ताव रखा गया
1929 लाहौरअध्यक्ष जवाहरलाल नेहरु, पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव रखा गया

 

आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय के कारण
  1. भारत एवं उपनिवेशी शासन के हितों में विरोधाभास
  2. भारत का प्रशासनिक, राजनितिक एवं आर्थिक एकीकरण
  3. पाश्चात्य चिंतन तथा शिक्षा का प्रभाव
  4. प्रेस एवं समाचार-पत्र की भूमिका
  5. भारत के अतीत का पुनःअध्ययन
  6. मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों का अम्युदय
  7. तत्कालीन विश्वव्यापी घटनाओं का प्रभाव
  8. अंग्रेज शासकों की प्रक्रियावादी नीतियां एवं जातीय अहंकार
कांग्रेस के गठन से पूर्व की राजनीतिक संस्थायें
1836बंगभाषा प्रकाशक सभा
1838जमींदारी एसोसिएशन
1843बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसायटी
1851ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन
1866ईस्ट इंडिया एसोसिएशन
1867पूना सार्वजनिक सभा
1875इण्डियन लीग
1876कलकत्ता भारतीय एसोसिएशन
1884मद्रास महाजन सभा
1885बाम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन
प्रारंभिक राष्ट्रवादियों (उदारवादियों) के उद्देश्य
  1. संवैधानिक दायरे में रहकर प्रदर्शन एवं सभाएं करना
  2. भारत के पक्ष में जनमत का निर्माण करना
  3. इंग्लैण्ड में भारतीय पक्ष के प्रति समर्थन बढ़ाना
  4. भारतीयों को राजनीतिक शिक्षा देना
  5. ब्रिटेन से भारत के राजनीतिक सम्बंधों को बनाये रखना क्योंकि वह समय ब्रिटिश सरकार को प्रत्यक्ष चुनौती देने हेतु उपयुक्त न था |
नरमपंथी राष्ट्रवादियों का योगदान
  1. उपनिवेशी शासन की आर्थिक शोषण की नीति की निंदा करना
  2. व्यस्थापिका सम्बन्धी संवैधानिक सुधार
  3. सामान्य प्रशासनिक सुधारों हेतु अभियान चलाना
  4. भारतीयों के दीवानी अधिकारों की रक्षा करना

बंगाल विभाजन एवं स्वदेशी आंदोलन (1905 ई. से 1906 ई.)

उग्र और क्रांतिकारी आंदोलन (1905 ई. से 1914 ई.)

होमरुल लीग आंदोलन (1915 ई. से 1916 ई.)

प्रमुख षड्यंत्र काण्ड
वर्षषड्यंत्रसम्बंधित घटनाक्रम
1909-1910नासिक काण्डवी.डी. सावरकर को आजीवन कारावास
अलीपुर काण्डअरविन्द घोष पर मुकदमा
1908ढाका काण्डपुलिन दास को 7 साल की सजा
1915दिल्ली काण्डलार्ड हार्डिंग पर बम फेंकने का मामला
1916रेशमी पत्र काण्ड
1925काकोरी काण्डलखनऊ के पास रेल लूट
1930लाहौर काण्डभगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु को फांसी
1922-1924पेशावर काण्डभारत में साम्यवादियों को पकड़ना
1924कानपुर काण्डसाम्यवादियों की गिरफ़्तारी
1929-1933मेरठ काण्डश्रमिकों एवं साम्यवादियों पर मुकदमा

लखनऊ समझौता (1916)


रौलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड (1917 ई. से 1919 ई.)

खिलाफत आंदोलन (1919 ई.)

असहयोग आंदोलन (1920 ई.)

विदेशों में भारतीय संगठन
संगठनसंस्थापकवर्षदेश
इण्डिया हाउसश्यामजी कृष्ण वर्मा1904लंदन (इंग्लैण्ड)
अभिनव भारतवी.डी.सावरकर1906लंदन (इंग्लैण्ड)
ग़दर पार्टीलाला हरदयाल1907सेन फ्रांसिस्को (अमेरिका)
इंडियन इंडिपेंडेंस लीगलाला हरदयाल1914बर्लिन (जर्मनी)
इंडियन इंडिपेंडेंस लीग एंड गवर्नमेंटराजा महेंद्र प्रताप1915काबुल (अफगानिस्तान)
इंडियन इंडिपेंडेंस लीगरास बिहारी बोस1942टोकियो (जापान)

साइमन आयोग

नेहरु रिपोर्ट (1928)

सविनय अवज्ञा आंदोलन

गोलमेज सम्मलेन (1930 ई. से 1932 ई.)
सम्मलेनतिथिवायसरॉयउद्देश्यटिपण्णी
प्रथमनवम्बर 1930 – जनवरी 1931लार्ड इरविनसाइमन आयोग के सुझावों पर विचार करने के लिए1.कांग्रेस ने इस सम्मलेन में भाग नहीं लिया।  2. इसकी अध्यक्षता ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैमसे मैकडोनाल्ड ने की थी।                     3. इसमें कुल 89 सदस्य शामिल हुए।
द्वितीयसितम्बर –  दिसंबर 1931)लार्ड विलिंग्डनसंघीय ढांचे पर विचार करना तथा अल्पसंख्यको के हितों की रक्षा हेतु1. कांग्रेस ने इसमें भाग लिया।               2. इसमें कुल 107 सदस्य शामिल हुए।       3. किसी भी मुद्दे पर सहमति नहीं हो पाई।
तृतीयनवम्बर –  दिसम्बर 1932)लार्ड विलिंग्डनभारत में शासन सुधारों पर विचार करने हेतु1. इसमें कुल 46 सदस्यों ने भाग लिया।      2. कांग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया।

गाँधी इरविन समझौता

  1. सभी राजनीतिक बंदियोँ को रिहा किया जाएगा।
  2. आपातकालीन अध्यादेशों को वापस ले लिया जाएगा।
  3. आंदोलन के दोरान जब्त की गई संपत्ति उनके स्वामियों को वापस कर दी जाएगी तथा जिनकी संपत्ति नष्ट हो गई हो, उन्हें हर्जाना दिया जाएगा।
  4. समुद्र तट के निकट रहने वाले लोगोँ को अपने इस्तेमाल के लिए बिना कोई कर दिए नमक एकत्र करने तथा बनाने दिया जाएगा।
  5. सरकार मादक द्रव्योँ तथा विदेशी वस्तुओं की दुकानोँ पर शांतिपूर्ण धरना देने वालोँ को गिरफ्तार नहीँ करेगी।
  6. जिन सरकारी कर्मचारियोँ ने आंदोलन के दौरान नौकरी से त्यागपत्र दिया था, उन्हें नौकरी मेँ वापस लेने मेँ सरकार उदार नीति अपनायेगी।

पूना समझौता (1932 ई.)

1937 का चुनाव और प्रांतो मेँ कांग्रेसी मंत्रिमंडल

अगस्त प्रस्ताव (1940 ई.)

  1. वायसरॉय की कार्यकारिणी परिषद का विस्तार किया जाएगा;
  2. वायसरॉय द्वारा भारतीय राज्यों, भारत के राष्ट्रीय जीवन से संबंधित अन्य हितों के प्रतिनिधियों की एकजुट परामर्श समिति की स्थापना की जाएगी;
  3. भारत के लिए नए संविधान का निर्माण मुख्यत: भारतीयोँ का उत्तरदायित्व होगा। युद्धोपरांत भारत के लिए नवीन संविधान निर्माण हेतु राष्ट्रीय जीवन से सम्बद्ध व्यक्तियों के एक निकाय का गठन किया जाएगा;
  4. युद्ध समाप्ति के एक वर्ष के भीतर औपनिवेशिक स्वराज्य की स्थापना करना ब्रिटिश सरकार की घोषित नीति है;
  5. अल्पसंख्यको को पूर्ण महत्व प्रदान करने का आश्वासन दिया गया।
  6. यद्यपि यह घोषणा एक महत्वपूर्ण प्रगति थी, क्योंकि इसमेँ कहा गया था कि, भारत का संविधान बनाना भारतीयों का अपना अधिकार है, और इसमेँ स्पष्ट प्रादेशिक स्वशासन की प्रतिज्ञा की गई थी।

 क्रिप्स मिशन 1942 ई.

भारत छोड़ो आंदोलन 1942

सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज

समिति आयोगकार्य क्षेत्र
पेल्वी आयोगधन निकासी के मामले की जाँच
इंडियन स्टे्टरी समितिकेन्द्रीय प्रांतीय सरकारों की राजस्व मदों का विभाजन
फ्लाउड आयोग – 1940कृषक व भूमि मालिक के बीच उत्पादन का विभाजन
टॉमसन योजना – 1843देशी भाषा में शिक्षा देने की सिफारिश
वुड डिस्पैच – 1854शिक्षा प्रणाली में सुधार
हंटर आयोग – 1882-83प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा में सुधार
रैले आयोग – 1902विश्वविद्यालयी शिक्षा में सुधार
हर्टोग आयोग – 1929प्राथमिक शिक्षा के राष्ट्रीय महत्त्व पर जोर
सैडलर आयोग – 1917-19महिला शिक्षा के लिए स्वायत्त संस्थाओं की स्थापना
सार्जेन्ट आयोग – 1944राष्ट्रीय शिक्षा की योजना

शिमला समझौता तथा वेवेल योजना

  1.  ब्रिटिश शासन राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करके भारत को स्वशासन के लक्ष्य की ओर अग्रसर करना चाहता है।
  2. वायसराय कार्यकारिणी परिषद का गठन इस तरह किया जाए कि, वायसराय तथा प्रधान सेनापति को छोडकर शेष सदस्य भारतीय हों।
  3. कार्यकारी परिषद मेँ हिंदू तथा मुसलमान सदस्योँ की संख्या बराबर होगी।
  4. विदेश विभाग भारतीय सदस्योँ के हाथ मेँ होगा।
  5. एक ब्रिटिश उच्चायुक्त की नियुक्ति की जाएगी, जो भारतीय वाणिज्य तथा दूसरे हितो की देखभाल करेगा।
  6. नई कार्यकारिणी परिषद 1935 के अधिनियम के तहत कार्य करेगी।
  7. भारत सचिव शक्ति को सीमित किया जाएगा, जबकी वायसराय के वीटो के अधिकार को बरकरार रखा जाएगा। 

कैबिनेट मिशन योजना 1946

अंतरिम सरकार का गठन (1946 ई.)

एटली की घोषणा

 माउंटबेटन योजना (जून 1947)

सत्ता का हस्तांतरण भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947

  1. 15 अगस्त 1947 को दो स्वतंत्र अधिराज्यों भारत तथा पाकिस्तान की स्थापना की जाएगी।
  2. नए संविधान के बनने और लागू होने तक वर्तमान संविधान सभायें ही विधानसभाओं के रुप मेँ 1935 के एक्ट के तहत ही कार्य करेंगी।
  3. ब्रिटिश क्राउन का भारतीय रियासतों पर प्रभुत्व समाप्त हो जाएगा।
  4. भारत सचिव का पद समाप्त कर उसके स्थान पर एक राष्ट्रमंडलीय मामलोँ के सचिव की नियुक्ति करने की व्यवस्था की गई।
  5. दोनों राज्योँ के लिए राज्य मंत्रिमंडल के सुझाव पर पृथक गवर्नर जनरल की नियुक्ति की जाएगी।

स्मरणीय तथ्य

प्रमुख पुस्तकेंलेखक
द इंडियन डायरीमांटेग्यु
द इंडियन स्ट्रगलसुभाष चन्द्र बोस
पीजेंट्री ऑफ़ बंगालआर.सी. दत्त
इकोनोमिक हिस्ट्री ऑफ़ इंडियाआर.सी. दत्त
फालेन फ्लावर्सकुमार आसन
दुर्गेश नंदिनीबंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय
आनंद मठबंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय
भवानी मंदिरअरविन्द घोष
न्यू लैम्प्स कार ओल्डअरविन्द घोष
हिन्द स्वराजमहात्मा गाँधी
गोरारविन्द्र नाथ टैगोर
राइज ऑफ़ द मराठा पॉवरएम.जी. रानाडे
एसेज ईद इंडियन इकॉनमीएम.जी. रानाडे
गीता रहस्यबाल गंगाधर तिलक
द पावर्टी एंड अन ब्रिटिश रुल इन इंडियादादा भाई नैरोजी
सोज-ए-वतनप्रेमचंद
कर्मयोगविवेकानंद
इंडियन मुस्लिमडब्ल्यू हंटर
गण देवताताराशंकर बन्धोपाध्याय
गाँधी वर्सेज लेनिनएस.ए. डांगे
फिलोसफी ऑफ़ द बमभगवती चरण वोहरा
नील दर्पणदीन बंधु मित्र
पाथेर पंचालीविभूति भूषण बनर्जी
इंडिया टुडेआर. पी. दत्त
इण्डिया विन्स फ्रीडमअब्दुल कलम आजाद
इंडिया इन ट्रांजिशनएम.एन. रॉय

आपको मेरे द्वारा प्रोवाइड किये हुए नोट्स अच्छे लगे हो या इनमे किसी तरह का सुधार चाहते है तो कृपया कमेंट जरूर करें |
आप मुझे मेरे  email id -instituteofankitsharma@gmail.com पर भी मेल करके अपने सुझाव दे सकते है|
अगर किसी को इन नोट्स की  PDF चाहिए तो वो भी मेल या कमेंट कर सकता है या फिर मेरे telegram channel को जॉइन भी कर सकते हो ,जिसकी लिंक आपको नीचे दी गई है ।

BEST STUDY NOTES
इस चैंनल के माध्यम से आपको बेस्ट से बेस्ट अध्ययन सामिग्री दी जाएगी
BEST STUDY NOTES
हमे फेसबुक पर भी आप जॉइन कर सकते है --https://www.fb.com/instituteofankitsharma


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भारत पर अरबों के आक्रमण के कारण एवं प्रभाव

उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए देना होगा TET की तरह PET ।

Most Important Evs question NCERT based part -3